10 बदलाव जो Covid-19 Pandemic Impact की वजह से lifestyle में आया हैं।
Covid-19 Pandemic Impact on our lifestyle; एक वैश्विक महामारी, जिसका सुनामी जैसा प्रभाव हमारे दूरदर्शिता को समाप्त करने के लिए प्रयाप्त है.
अभी, यह अनुमान लगाना असंभव है कि अगले सप्ताह दुनिया कैसी दिखेगी, अगले साल क्या होने वाला है.
अब से छह महीने, एक साल या 10 साल बाद हम कहां होंगे? आखिर हमारा या हमारे प्रियजनों के लिए भविष्य क्या है?
सच तो यह हैं कि Covid-19 Pandemic Impact अर्थव्यवस्था को तो खराब कर ही रहा है यह हमारे जीने के तरीक़ो के साथ भी खिलवाड़ कर रहा हैं.
हो सकता हैं कि कुछ दिनों में कोविड-19 की वैक्सीन बाजार में आ जाए या ये भी हो सकता हैं कि हमें इसी के साथ जीने की आदत डालनी पड़े.
दोनों परिस्थितियों के लिए हमें ख़ुद को तैयार करने की जरूरत हैं.
आइये हम इस बात को जानने का प्रयास करते हैं कि “Covid-19 Pandemic Impact on our lifestyle“.
Covid-19 Pandemic Impact;लॉकडाउन में रहने की मजबूरी

कोविड-19 की वजह से लॉकडाउन में रहना शायद हमारी मज़बूरी बन गयी हैं.
लॉकडाउन के माध्यम से महामारी को रोकने का वैश्विक प्रयास अब भी जारी है, लेकिन हम जिस दुनिया को पहचानते हैं, शायद उसकी पुनरावृत्ति होने की संभावना कम है.
फिर भी व्यवहार विज्ञान और इतिहास के अनुभवों से हम यह कह सकने में सक्षम हैं “कोविड-19 हमारे जीवन जीने के तरीके को बदल देगा”. शायद हम अब पहले जैसे अपनी मर्ज़ी से घूम-फिर नहीं पायेंगे.
बहुत आवश्यकता होने पर ही हम घर से बाहर निकलेंगे.
Covid-19 Pandemic की वजह से ऑनलाइन स्टडि एक मज़बूरी बन गयी हैं

कोविड-19 के शुरुआती दिनों में ऑनलाइन स्टडि एक मज़बूरी थी.
लेकिन, बहुत सारे डिजिटल प्लैटफ़ार्म जैसे- ज़ूम, लर्निंग एप, व्हाट्सएप आदि का ऑनलाइन स्टडि को बढ़ावा देने की वजह से, बच्चों के सामने सीखने के लिए कई सारे विकल्प उपलब्ध हैं.
वैसे भी माना जाता हैं कि किसी चीज को प्रयोगिक तौर पर देख कर जल्दी समझा जा सकता हैं.
परंतु ऑनलाइन स्टडि के बहुत से साइड इफैक्ट भी देखने को मिल रहे हैं.
बहुत देर तक कम्प्युटर या लैपटाप के सामने बैठने की वजह से बच्चों का स्वभाव चिड-चिड़ा होने लगा हैं.
इसके अलावा ऑनलाइन स्टडि में पैरेंट्स को बच्चे की मॉनिटरिंग करनी पर रहीं हैं.
Covid-19 Pandemic; फ़ेस मास्क हमारी वाडरोब का अहम हिस्सा बन जाएगा

कोविड-19 महामारी की वजह से अब मास्क पहनना हमारी अनिवार्यता हो गयी हैं.
इतिहास में यदि हम झाँक कर देखे तो पायेंगे कि कई राष्ट्रों ने विरोध प्रदर्शन को रोकने और असंतोष फैलाने के साधन के रूप में नकाब विरोधी कानून बनाए हैं.
लेकिन महामारी की तबाही लोगों को सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए मास्क से जुड़े पुराने तर्कों पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर करेंगी.
इसमें कोई अतियोशोक्ति नहीं हैं कि “कोविड-19 हमारे जीवन जीने के तरीके को बदल देगा”.
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हैंडशेक को कहो अलविदा, हाथ जोड़ कर करों नमस्ते
कोविड -19 के झटके ने पहले ही लोगों के मानदंडों झकझोर दिया हैं.
जैसा कि हम इस दौरान खुद को और अपने प्रियजनों को बचाने के लिए बेहतर प्रयास करते हैं और भविष्य में हम व्यक्तिगत स्वच्छता और व्यवहार के आसपास नए वर्जनाओं का निर्माण करेंगे.
आज पूरा विश्व भारत की नमस्ते करने की परंपरा को अपना रहा हैं.
अब हम किसी से हैंडशेक करने या गले मिलने की जगह हाथ जोड़ कर नमस्ते करना पसंद करेंगे.
व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (PPE) जैसे शब्द पहले ही आम बोलचाल में प्रवेश कर चुके हैं.
Covid-19 Pandemic Impact; धार्मिक मान्यताओं में बदलाव
इस वर्ष, कोविड-19 महामारी ने हमारे जीवन में गहरा परिवर्तन ला दिया है, जिसमें हमारे धार्मिक संस्कार भी शामिल हैं.
सरकार और सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों के अनुसार, अधिकांश मंदिरों और धार्मिक संगठनों को जनता के लिए बंद कर दिया गया हैं.
अभूतपूर्व उपायों जैसे लिवस्ट्रीम या ड्राइव-इन पूजा सेवाओं, ऑनलाइन पूजा और निलंबित तीर्थ यात्राओं को अपनाया जा रहा हैं.
टूरिज़्म के नये तरीक़े; Covid-19 Pandemic Impact

टूरिज़्म का तरीका पूरी तरह से बदलने जा रहा है.
पिछले वर्षों में, अधिकांश देशों ने पर्यटन को आर्थिक विकास में योगदान देने वाला माना है और दुनिया भर में इसे व्यापक रूप से स्वीकार किया जाता है.
कोविड-19 के पहले तक टूरिज़्म के विकास में भारी निवेश जारी था.
परंतु इस त्रासदी ने सब कुछ बदल दिया हैं. अब विदेश यात्रा इतनी सहज़ नहीं हो सकती है.
पूरी दुनिया कोविड -19 से प्रभावित हुइ हैं. विकसित देश अब थर्ड वर्ल्ड के लोगों के लिए अपनी सीमाएं इतनी आसानी से नहीं खोलेंगे.
विकसित देशों का मानना हैं कि थर्ड वर्ल्ड कंट्री के लोग जैसे भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका आदि हाइजीन का बहुत ख़्याल नहीं रखते हैं.
हो सकता हैं, शायद आने वाले भविष्य में आपसे किसी दूसरे देश में प्रवेश के लिए इममुनिटी सर्टिफिकेट मांगा जाए.
वर्क फ्रॉम होम कल्चर; Covid-19 Pandemic Impact on our lifestyle

कोविड-19 किस प्रकार ने हमारे जीवन जीने के तरीके को बदल दिया हैं.
इसका एक बड़ा उदाहरण हैं- “वर्क फ्रॉम होम कल्चर” का चलन, जो अब हमारे जीवन का हिस्सा बन गया है.
खैर, ईमानदारी से कहें तो यह एक नई अवधारणा नहीं थी.
पश्चिम में और यहां तक कि भारत में कई आईटी कंपनियां पूर्णता के साथ इसका अभ्यास कर रही हैं.
कोविड-19 ने इसे दूसरे स्तर पर ले लिया है और लगभग सभी कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम के लिए कहा है.
स्वच्छता के प्रति अधिक जागरूकता

हम स्वच्छता के प्रति अधिक जागरूक हो गए हैं. हां, आपने इसे सही सुना.लोगों ने व्यक्तिगत स्वच्छता को अधिक गंभीरता से लेना शुरू कर दिया है.
कोविड-19 के दौरान, हाथों को धोने, उपयोग करने से पहले चीजों को साफ करने की रस्म, जो एक मजबूरी के रूप में शुरू हुई, एक आदत बन गई है.
एक सर्वे कहती हैं कि लॉकडाउन के दौरान 87.2 प्रतिशत भारतीय अपनी व्यक्तिगत स्वच्छता के प्रति सतर्क हो गए हैं.
स्वास्थ्य और स्वच्छता ब्रांड इस अवसर पर बढ़े हैं और स्वच्छता के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए बड़े पैमाने पर अभियान शुरू किए हैं.
सार्वजनिक थूकना अब एक दंडनीय अपराध है.
Covid-19 Pandemic Impact on our lifestyle; ऑनलाइन शॉपिंग को बढ़ावा

शॉपिंग पहले मज़ेदार होती थी क्योंकि आपने स्टोर से अपने पसंदीदा चीजों को आप चुन सकते थे.
आप कपड़े, जूते, किराने का सामान, और बहुत कुछ के लिए शॉपिंग करते थे.
खैर अब, कोविड-19 की वजह से, शॉपिंग मुख्य रूप से केवल आवश्यक और किराने का सामान के लिए किया जाता है.
शॉपिंग के लिए अब हम ऑनलाइन प्लैटफ़ार्म को अधिक तवज्जो दे रहें हैं.
लोगो को खान-पान के प्रति सतर्क होना होगा

जैसा की हम सभी जानते हैं कि कोविड-19 की अब तक कोई मेडिसिन नहीं बनी हैं और ना ही इसका वैक्सीन बाजार में आया हैं.
ऐसे में इस बीमारी से लड़ने में हमारी इम्यूनिटी का बहुत बड़ा हाथ हैं.
लोगों को यदि स्वस्थ रहना हैं, तो उन्हें अपने खान-पान में बदलाव लाना होगा.
जंक फूड की जगह हैल्दी डाइट अपनाना होगा.
हालांकि वर्तमान में हम लॉकडाउन में रहने के लिए मज़बूर हो सकते हैं, लेकिन हमें कोविड-19 के बाद होने वाले परिवर्तनों के लिए खुद को मानसिक रूप से तैयार करना चाहिए.
यह हमें मजबूत व्यक्ति के रूप में अनुकूल बनाने और उभरने में मदद करेगा.